Saayein mein dhup By Dushyant Kumar

Saayein mein dhup By Dushyant Kumar

Bhale Sukhan

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ज़िंदगी में कभी कभी ऐसा दौर आता है जब तकलीफ़ गुनगुनाहट के रास्ते बाहर आना चाहती है। उसमें फँसकर ग़मे-जानाँ और ग़मे-दौराँ तक एक हो जाते हैं। ये ग़ज़लें दरअसल ऐसे ही एक दौर की देन हैं।
ज़िंदगी में कभी कभी ऐसा दौर आता है जब तकलीफ़ गुनगुनाहट के रास्ते बाहर आना चाहती है। उसमें फँ...Read More